Essay on Kalyan Singh & Biography in Hindi | कल्याण सिंह की जीवनी
Essay on Kalyan Singh & Biography in Hindi
Essay on Kalyan Singh & Biography in Hindi | (कल्याण सिंह की जीवनी) कल्याण सिंह का मानना था की सत्ता धमक और इकबाल से चलती है। इसमें सिस्टम कोलैप्स नहीं होता है। राजनेता का काम सिस्टम को बनाए रखना है। बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इसे साबित भी किया। 1991 से 1999 के बीच टुकड़ों टुकड़ों में मिली सत्ता के दौरान उनके फैसलों ने शासन के साथ सियासत में ऐसी बात लिखी जिसका असर आज भी साफ – साफ पढ़ा जा सकता है।
परिचय
अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में, अतरौली तहसील के गांव मढौली में 5 जनवरी सन 1932 में कल्याण सिंह का जन्म हुआ। उनके पिता तेजपाल सिंह लोधी एक सामान्य किसान थे और उनकी माता सीता देवी एक घरेलु महिला। 10 जनवरी 1952 में कल्याण सिंह का विवाह हुआ। उनकी पत्नी का नाम रामवती और उनके एक पुत्र व एक पुत्री है।
साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि रही और खुद भी एक रचनाकार और संवेदनशील व्यक्ति रहे। आपातकाल में वाराणसी जेल में उनके द्वारा 12 गीतों की रचना की गई। भाजपा का “किसान गीत” भी उन्हीं के द्वारा रचित है। एक शिक्षक होने के साथ कृषि राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी कल्याण सिंह ने अपनी छाप छोड़ी।
कल्याण सिंह बचपन से ही r.s.s. की शाखाओं में जाने लगे थे। देश को आजादी दिलाने की इच्छा उनके दिल में हिलोरे मारने लगी थी। देश आजाद होने पर उच्च शिक्षा ग्रहण करने पर उनके शिक्षक के रूप में अपने करियर प्रारंभ किया। वह लगातार संघ से जुड़कर राजनीति के गुर सीखने लग। वर्ष 1967 में उन्होंने अतरौली विधानसभा से जनसंघ से पहला चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे और 1977 में यूपी में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ। राम नरेश यादव के नेतृत्व में बनी सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। सन 1980 के चुनाव से पहले जनता पार्टी टूट गई और कल्याण सिंह को अतरौली से पहली बार हार का सामना करना पड़ा।
सियासी योगदान
1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य पहली बार चुने गए और 1977 से 1979 तक स्वास्थ्य मंत्री उत्तर प्रदेश का पदभार संभाला। 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश रहे। इस बीच उन्हें कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। 21 सितंबर 1997 के चुनाव में जीतने के बाद कल्याण सिंह को भाजपा ने फिर से सीएम बनाया। 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे में 56 सीट जीतकर कल्याण सिंह ने अपना दम दिखाया ।
2004 में सदस्य, 14वी लोकसभा सदस्य पहली बार एवं सभापति ग्रामीण विकास समिति रहे। 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने पर पार्टी ने उन्हें राजस्थान के राज्यपाल के रूप में भेजा। 2014 में राजस्थान के राज्यपाल बने और 28 जनवरी 2015 से 11 अगस्त 2015 तक कुछ समय के लिए कल्याण को हिमाचल प्रदेश का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
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भाजपा के लिए कल्याणकारी
1962 से 1967 के बीच इस 5 साल कल्याण सिंह ने खुद को तपाया जलाया और गलाया नतीजा जब वह 1967 में जीते तो ऐसे जीते कि 1980 तक लगातार विधायक रहे। 1980 वाले साल को भाजपा का पैदाइशी साल माना जाता है और कोई माने ना माने राजनीतिक पंडित मानते हैं कि भाजपा को सूबे की राजनीति से लेकर राष्ट्र की राजनीतिक तक ले जाने में जो मुकम्मल पायदान आते हैं उनमें कई पायदान कल्याण सिंह के ही बिछाए हुए है। भाजपा के लिए कल्याण सिंह अपना नाम सार्थक कर जाते हैं और असली कल्याणकारी साबित होते हैं।
पांच उपलब्धियां
1. नकल अध्यादेश लाए नकल करने को संघीय अपराध बनाया गया।
2. एक दिन में समूह ग की 10,0000 भर्ती के लिए परीक्षा कराई।
3.आंदोलन में फैसला लिया कि किसी कारसेवक पर कार्रवाई नहीं होगी।
4. संगठित अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का किया गठन
5. पूर्वांचल और बुंदेलखंड के पिछड़ेपन को देखते हुए वहां विशेष योजनाओ के लिए पूर्वांचल विकास निधि की शुरुआत।
आलोचना
यूपी की राजनीति के जानकार बताते हैं एक समय था जब कल्याण सिंह की पार्टी में तो तूती बोलती थी। मगर साल 1999 में जब उन्होंने पार्टी के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेई की सार्वजनिक आलोचना की तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। जिसके बाद कल्याण सिंह ने अपनी अलग राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई और साल 2002 में विधानसभा चुनाव में भी शामिल हुए।
भाजपा में राजनीतिक पारी
6 अप्रैल वर्ष 1980 में भाजपा के गठन के दौरान कल्याण सिंह को प्रदेश महामंत्री बनाया गया। 80 के दशक के आखिरी के दौरान भाजपा के राम मंदिर आंदोलन के गति पकड़ने पर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई। राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह की एक मुख्य वक्ता और आंदोलन के महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्स के रूप में पहचान बनना प्रारंभ हुई। मुलायम सिंह यादव की सरकार पर उन्होंने जमकर हमला बोला और गिरफ्तारियां दी।
राम मंदिर आंदोलन
राम मंदिर आंदोलन की सूबे में कमान मिलने के बाद कल्याण सिंह का कद बढ़ने लगा। पार्टी में भी उनकी स्थिति और पहचान मजबूत होती चली गई। कल्याण सिंह के कड़े तेवर और राजनीतिक जुझारुपन से भाजपा का भी सूबे में विस्तार होने लगा और स्थापित दलों को चुनौती देने लगी। 1991 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला तो पार्टी ने उन्हें सीएम बनाया। पार्टी को यूपी में जीत दिलाने में कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही।
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कल्याण सिंह का इस्तीफा
6 जनवरी 1992 में अयोध्या में एकत्र हुए कारसेवकों के विवादित ढांचे को गिराने के कारण देश में कई स्थानों पर दंगे हो गए। इसी दिन शाम को ढांचा विध्वंस का सारा दोष अपने ऊपर लेते हुए कल्याण सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। राम मंदिर के अपने कुर्सी कुर्बान कर देने से कल्याण सिंह रातोंरात भाजपा और हिंदूवादियों के हीरो बन गए। अगले साल हुए चुनाव में कल्याण सिंह अतरौली और कासगंज सीट से चुनाव जीते।
कल्याण सिंह का निधन
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का 89 वर्ष की उम्र में 21 अगस्त 2021 को निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार 23 अगस्त 2021 को अलीगढ़ के नरौरा में गंगा तट पर किया गया।
FAQs. Kalyan Singh Biography in Hindi
कल्याण सिंह का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर – पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का का जन्म, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश में, अतरौली तहसील के गांव मढौली में 5 जनवरी सन 1932 को हुआ था।
कल्याण सिंह किस राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे ?
उत्तर – भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह, उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके है।
कल्याण सिंह का निधन कब हुआ था।
उत्तर – भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का 89 वर्ष की उम्र में 21 अगस्त 2021 को निधन हो गया।