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Rashtriya Ekta Par Nibandh | Essay on National Integration Hindi | PDF

राष्ट्रिय एकता पर निबंध (Essay on National Integration in Hindi, Rashtriya Ekta Par Nibandh)

Rashtriya Ekta Par Nibandh | राष्ट्रिय एकता पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। 100, 150, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में। हमने PDF Download का लिंक निचे दिया है। हमने राष्ट्रिय एकता व अखण्डता पर निबंध (Essay on National Integration in Hindi) सभी विद्यार्थी के उपयोगिता के अनुसार अलग अलग लिखा गया है, तो शुरू करते है।

Rashtriya Ekta Par Nibandh 100 – 150 Words

भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का देश है, जहां पर कई धर्मों, जातियों और भाषाओं को बोलने वाले लोग निवास करते है। जिसकी समूचे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है। हमारे रहन-सहन, संस्कार, खान-पान, और पहनावे में अंतर हो सकता है। धर्म, जाति और भाषा में विविधता हो सकती है, लेकिन बावजूद इसके भारत में प्राचीन काल से ही एकता की भावना रही है। हमारे वैचारिक और राजनीतिक दृष्टिकोण में एकता है।

एकता एक भावनात्मक शब्द है जिसका मतलब है एक होने की भावना। जब भी किसी ने हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश की है। भारत का प्रत्येक नागरिक एक जुट हो उठता है। राष्ट्रीय एकता को तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ हम एक हो जाते है। हमारी सामाजिक, आर्थिक,  राजनीतिक और वैचारिक एकता में विविधता हो सकती है, फिर भी वास्तविक अर्थ में भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और साहित्यिक दृष्टि से एक जुट होना ही एकता है। इस प्रकार अनेकता में एकता भारत की प्रमुख विशेषता है।

Rashtriya Ekta Par Nibandh 200 – 300 Words

भारत देश की समूचे विश्व में अपनी एक अलग पहचान है। भारत जैसे विशाल देश में विविधता का होना स्वाभाविक है, फिर भी यहाँ पर सभी धर्मो के लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी आदि भाईचारे के साथ निवास करते हैं। सभी धर्मो में अलग – अलग मतभेद हैं। सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से खान-पान, वेशभूषा, विभिन्न जातियाँ, उपजातियाँ, गोत्र आदि में अनेक विविधता है। देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग विचारों और अलग-अलग मान्यताओं के बावजूद आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना को बनाए हुए है।

भारत में अनेकता में एकता का वास है, इसलिए हमें समाज में ऐसे प्रयास करने चाहिए कि सभी नागरिक सद्भाव और प्रेम के माध्यम से एक दूसरे पर विश्वास स्थापित कर सकें और नफरत से दूर रहे। एकता को बनाए रखें के कई उपाय है। जैसे, शिक्षा हमारे दिमाग को उदार और व्यापक बनाती है। क्योंकि अशिक्षा के कारण लोग भावनाओं में बह जाते हैं। बच्चों को शुरू से ही सभी धर्मों, भाषाओं और जातियों का सम्मान करने योग्य बनाना चाहिए। छात्रों को विद्यालय में राष्ट्रभाषा के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषा भी शिक्षा देनी चाहिए।

यदि देशवासी अपनी स्वार्थ भावना को भूलकर सामूहिक हित की भावना विकसित करें तो, हम धर्म, क्षेत्र, भाषा और जाति के नाम पर सोचने के बजाय पूरे देश के बारे में सोचेंगे। हम सभी को अलगाववादी भावना के स्थान पर राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहिए, जिससे अनेकता होते हुए भी एकता की भावना का विकास होगा। अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों के होते हुए भी हम सभी एक सूत्र में बंधे हुए हैं और राष्ट्र की एकता व अखंडता को बनाए रखने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हमारी एकता तभी होगी जब सभी नागरिक देशभक्ति से भरे हों, सभी नागरिक पहले भारतीय हों, फिर किसी अन्य धर्म-पंथ के अनुयायी।

Rashtriya Ekta Par Nibandh 500 Words

प्रस्तावना

भारत एक संघ राज्य देश है, जो अनेक जातियों, धर्मों, और भाषाओं का देश है। यहां सभी राज्यों या क्षेत्रों में रहने वाले लोग, नैतिकता, विभिन्न रंगों, भाषाओ को बोलने वाले एकता का प्रतिक हैं। उन सभी की समाजिक और स्थानीय संस्कृतियां हैं। सभी ने मिलकर एक भारतीय संस्कृति का विकास किया है जिसने हम सभी भारतीयों में एकता की भावना उत्पन्न किया है। यही भावना भारत को एक राष्ट्र का रूप देती है। अनेकता में एकता की यह भावना ही हमारे राष्ट्र का आधार है। यही राष्ट्रीय एकता हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और हम सभी को अपने राष्ट्रीय गौरव पर गर्व है।

एकता और अखण्डता की आवश्यकता

आज भारत सुरक्षा के दृष्टि से कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्रीय एकता नितांत आवश्यक है। बाहर से पड़ोसी और अन्य देश हमे तोड़ने के लिए साजिशे करते रहते हैं और भीतर से धार्मिक असहिष्णुता, नक्सलवाद, आतंकवाद, क्षेत्रीय संकीर्णता, जाति निषेध, स्वार्थी राजनीति देश को विखंडन का प्रयास कर रहे है। 

विदेशी निगाहें भारत पर हमेशा अपनी नजर बनाये रखते हैं। विश्व के कुछ अन्य शक्तिशाली और विकसित देश भी भारत को अपने व्यावसायिक और राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए बिखरते हुए देखना चाहते हैं। आज भारत के अस्तित्व और सुरक्षा के लिए भीतर और बाहर दोनों तरफ से गंभीर चुनौतियां हैं। अनेक धर्मों, भाषाओं, नैतिकताओं, और क्षेत्रों वाले देश को एकता की बहुत आवश्यकता होती है। हजारों साल की अपमानजनक गुलामी हमें एक होना, एक राष्ट्र बनना सिखाती है।

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राष्ट्रीय एकता और अखंडता के उपाय

भारत में अनेकता में एकता निवास करती है। हम सभी को समाज में ऐसे प्रयास करने चाहिए कि सभी नागरिक प्रेम और आदर से एक दूसरे पर विश्वास करे। हमे अपने स्वार्थ को भूलकर सामूहिक हित की भावना विकसित करना चाहिए, धर्म, क्षेत्र, भाषा और जाति के नाम पर सोचने के बजाय हमे पूरे देश के बारे में सोचना चाहिए। शिक्षा हमारे दिमाग को उदार और व्यापक बनाती है। क्यूंकि अशिक्षा के कारण लोग भावनाओं की आड़ में आ जाते हैं। हमे सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान किया जाना चाहिए। किसी भी धर्म को धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर ऊंचा या नीचा, बड़ा या छोटा नहीं समझना चाहिए।

बाहरी आक्रमण या राष्ट्रीय संकट के समय सबसे पहले सेना ही आगे आती है। सेना देश की अखंडता की रक्षा को प्राथमिकता देती है। लेकिन राष्ट्रीय एकता और अखंडता की रक्षा केवल सेना का काम नहीं है, बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक की भी भूमिका है। लोभ या स्वार्थ से ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता को खतरा हो।

निष्कर्ष

भारत अपनी अनेकता में एकता के लिये प्रसिद्ध है, इसके विकास के लिये हमें एक-दूसरे के भावनाओ का आदर करना होगा। धार्मिक और राजनैतिक लाभ को छोड़कर देश हित के लिए अग्रसर होना होगा। हमे एक दूसरे के धर्म, जाती, आदि को आदर करना चाहिए। ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जो देश के एकता और अखंडता के विरुद्ध हो। हमेशा देश की एकता बनाए रखना चाहिए और देश की प्रगति पर ध्यान देना चाहिए।

Rashtriya Ekta Par Nibandh 1000 Words

प्रस्तावना

हमारे देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी जैसे विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, जिनकी पहचान और पूजा करने का तरीका अलग है। यहां विभिन्न जातियां, विभिन्न धर्मों की उपजातियां रहती हैं, जिनके अपने रीति-रिवाज हैं। इसी तरह अलग-अलग प्रांतों की वेशभूषा भी अलग-अलग होती है। एकता उपरोक्त सभी धर्मों, जातियों, भाषाओं और बोलियों, प्रांतों के लोगों का एक साथ रहना है।

भले ही सभी लोगों की पूजा का तरीका अलग-अलग हो, लेकिन सभी एक भगवान की पूजा करते हैं। सभी में एक भारतीय और राष्ट्रीय एकता की भावना है। इसी तरह, भारत कश्मीर से कन्याकुमारी, असम से काठियावाड़ तक, पश्चिम में पाकिस्तान, पूर्व में बर्मा, बांग्लादेश, उत्तर में हिमालय और दक्षिण में हिंद महासागर के साथ एक व्यापक संयुक्त भारत है।

उपरोक्त सीमाओं से घिरा यह देश हमारा भारत है। इसका खंड कहीं से अलग नहीं है, इसे अखंड भारत कहा जाता है। यह व्यापकता राष्ट्रीय अखंडता है। देश की एकता और अखंडता हमेशा बनी रहनी चाहिए, यह सभी भारतीयों का सर्वोच्च कर्तव्य है। हम सभी पहले भारतीय हैं, फिर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और जातियां, भाषाएं, क्षेत्र।

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एकता और अखंडता के लिए खतरा

अंग्रेजों ने भारत पर एक राज्य के रूप में शासन करने के लिए सबसे पहले यहां की एकता पर प्रहार किया, क्योंकि कोई भी शासक नहीं चाहता कि लोगों में एकता अपना प्रभुत्व स्थापित करे। इसलिए उन्होंने फूट डालो और राज करो की एक मजबूत नीति अपनाई, जिसके कारण वे सैकड़ों वर्षों तक भारत के मजबूत शासक बने रहे। परिणामस्वरूप, भारत में धर्म और जातियों और वर्गों के आधार पर दंगे भड़क उठे।

कभी वे एक धर्म के लोगों को संरक्षण देते थे और दूसरों को परेशान करते थे और कभी दूसरे धर्म के लोगों को प्रोत्साहित करते थे ताकि लोग आपस में लड़ते रहें। फिर भारत के आजाद होने के बाद अंग्रेज भारत की अखंडता को खत्म करके चले गए। भारत का विभाजन अंग्रेजों की नीति थी। इस तरह उन्होंने हमारी एकता और अखंडता दोनों को तोड़ा।

आज भारत में विभिन्न स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे होते रहते हैं। एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों से लड़ते हैं। देश में कई जगहों पर वर्ग संघर्ष छिड़ चुका है। उच्च और निम्न जातियों के बीच कलह भी देखा जाता है। आरक्षण और अनारक्षण को लेकर लड़ाई जारी है। भाषा के आधार पर भी कई जगहों पर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं। हिंदी के खिलाफ दक्षिण में सरकारी संपत्ति को नुकसान होता है। उत्तर भारत में अंग्रेजी का कड़ा विरोध है। बंगाल, असम, कश्मीर में हिंदी विरोधी लहर चल रही है। कहीं उर्दू का विरोध है तो कहीं हिन्दी का। इस प्रकार विभिन्न प्रकार की राष्ट्रीय एकता खतरे में है।

पिछले दशकों में राष्ट्रीय अखंडता भी खतरे में है। कुछ आतंकवादी खालिस्तान को अलग चाहते हैं। कश्मीर के आतंकी अलग कश्मीर की मांग कर रहे हैं. मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट भी अलग राष्ट्र की मांग कर रहा था, जो अब शांत हो गया है। दार्जिलिंग में गोरखाओं ने भी हथियार उठा लिए थे, लेकिन अब वे खामोश हैं। कभी दक्षिण में भी द्रविड़स्तान की मांग थी। पिछले कुछ समय से हिंदू अतिवाद ने पूरे भारत में अपने पैर पसार लिए हैं और हमारी सरकार को परेशान किया है। ऐसे में स्वार्थी तत्व भारत को तोड़ना चाहते हैं।

भेदभाव व अलगाव के कारण

देश और राष्ट्र में अंतर है। देश की सीमाएँ संबंधित हैं। एक देश एक निश्चित सीमा से घिरा क्षेत्र है। राष्ट्र भावनाओं से जुड़ा है। पूरे देश के लोगों की भावनाएँ मिलकर राष्ट्र का निर्माण करती हैं। जब तक किसी देश के निवासियों की कोई विचारधारा न हो, वह राष्ट्रीय कहलाने का हकदार नहीं है।

आज तक हमारे शासकों ने अपने क्षुद्र स्वार्थ के कारण इस देश को राष्ट्रीय नहीं बनने दिया। आज राजनीतिक नेताओं ने अपनी घटिया राजनीति के कारण राष्ट्र के निर्माण में बाधा डाली है। वोट पाने के लिए पूरे देश को धर्मों, जातियों, भाषाओं के गंभीर वर्गों में बांटा गया है। अभी देश के नेताओं, अधिकारियों और लोगों के बीच राष्ट्रीय भावना नहीं जागी है। वे पहले कोई और हैं फिर भारतीय बाद में।

जब कोई व्यक्ति कहीं सत्ता में आता है, तो वह वहां अपने ही वर्ग के लोगों का समर्थन करता हुआ पाया जाता है। वोट की राजनीति सबको ललकारने का काम कर रही है. यही कारण है कि राष्ट्रीय एकता के खतरे के प्रति नेताओं की तुष्टिकरण की नीति देश को राष्ट्र नहीं बनने दे रही है।

आज भी देश में लोग संविधान के खिलाफ जल रहे हैं। राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ने और जलाने की खबरें भी आती हैं। राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होना आम बात हो गई है। इन सभी अपराधों के लिए दण्ड का विधान किया गया है, परन्तु किसी को कोई दण्ड नहीं मिलता। यह नेताओं के तुष्टिकरण की नीति है। यह गद्दारों को पोषण देता है। यही कारण है कि सभी में राष्ट्रीय भावना की कमी बढ़ती जा रही है, जिससे देश की एकता और अखंडता को भी खतरा पैदा हो गया है। भ्रष्टाचार, कदाचार, बेईमानी, धोखाधड़ी देश में उच्च स्तर पर है।

निष्कर्ष

किसी देश की प्रगति और स्वतंत्रता की सुरक्षा देश की एकता और अखंडता पर निर्भर करती है। हमारे देश में राष्ट्रीय एकता तब तक नहीं आ सकती जब तक राष्ट्रवाद की भावना उच्च स्तर पर न आ जाए। एकता के अभाव में अखंडता भी खतरे में है। नेताओं को दलगत राजनीति छोड़कर राष्ट्रहित में कार्य करना चाहिए। देशद्रोहियों और अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए। भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देकर लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा की जानी चाहिए। अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और अपनी भूमि से प्रेम करना चाहिए, तभी हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की रक्षा की जा सकती है

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