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अनुशासन पर निबंध हिंदी | Discipline Essay in Hindi 500 Words | PDF

Discipline Essay in Hindi

Discipline Essay in Hindi 500 + Words (Download PDF) अनुशासन पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए- के माध्यम से आज हम जानेंगे की अनुशासन मनुष्य के जीवन में क्यों आवश्यक है। अनुशासन हमे क्या सिखाता है और हमे इसका क्यों पालन करना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर हम प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे, तो आइये शुरू करते है। Discipline Essay in Hindi

प्रस्तावना

सृष्टि के सभी प्राणियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। खाना, पीना, सोना, आदि गुण मनुष्य व अन्य प्राणियों के समान रूप से ही पाए जाते हैं, परंतु कुछ गुण ऐसे भी हैं जिनके कारण मानव अन्य प्राणियों की अपेक्षा श्रेष्ठ है। उनमें से एक गुण है अनुशासन।

मानव सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ नियमों व मर्यादाओं से बंधा है। उनका पालन करना उसके लिए परमावश्यक है। यदि मानव स्वेच्छाचारी बन जाता है और अनुशासन से दूर हो जाता है, तो वह पशुवत हो जाता है।

नियम व मर्यादाओं से सामाजिक व्यवस्था बनी रहती है। उसी से मानव माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, छोटे, बड़ों के साथ व्यवहार करता है। इन्हीं मर्यादित व्यवहारों से वह मानव कहलाने का गौरव प्राप्त करता है।

अर्थ व अभिप्राय

अनुशासन शब्द, ‘अनु’ व शासन दो शब्दों के मेल से बना है। ‘अनु’ उपसर्ग है, जिसका अर्थ है पश्चात व अनुसरण। शासन से अभिप्राय नियंत्रण व नियमों का आदेशों का पालन करना है। नियमानुशीलता को विशेषता को अनुशासन का पर्याय कहा जा सकता है।

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मानव को नियमों व मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है। हम सभी प्रकार के नियमों का पालन करके समाज में अनुशासन बनाते हैं।

विद्यालय में अनुशासन

 विद्यालय में देश के भावी नागरिकों का निर्माण होता है। वहां से सभ्य व अनुशासित विद्यार्थी निकलकर देश के भविष्य का निर्माण करते हैं। सारे देश व समाज का भविष्य विद्यालय के अनुशासन पर निर्भर करता है।

जिस प्रकार सेना व देश में अनुशासन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार विद्यालय में भी अनुशासन की आवश्यकता होती है। सेना में अनुशासन की कमी से देश परतंत्र हो जाता है। खेल में अनुशासनहीनता से पराजय निश्चित है।

उसी प्रकार विद्यालयों में अनुशासनहीनता से छात्र अपने मानसिक असंतोष व दुर्व्यवहार प्रदर्शित करेंगे। फलसवरूप छात्र का जीवन नष्ट हो जाता है और देश का भविष्य खतरे में। इसलिए यदि अपने देश को उन्नत व समाज को विकसित करना है तो विद्यालय में अनुशासन बनाना परम आवश्यक है।

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आज के छात्रों में अनुशासनहीनता

यह बहुत खेद का विषय है कि आज का विद्यार्थी दिन-प्रतिदिन अनुशासनहीन बनता जा रहा है। समय पर विद्यालय ना पहुंचना, समय से पहले ही स्कूल से चले जाना, घर से आकर विद्यालय में ना पहुंचना, छात्रों में अनुशासनहीनता की निशानी है। आजकल विद्यालय में वहां के साज-समानो  की तोड़ -फोड़ होती है। दरवाजों के शीशे, डेस्क, कुर्सी तोड़ना आम बात हो गई है।

अनुशासनहीनता के कारण

विद्यालयों में अनुशासनहीनता के लिए समाज बहुत बड़ा जिम्मेदार है क्योंकि बालक समाज में अधिक समय रहता है। इसलिए समाज का उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। वहां के अध्यापक व प्रधानाचार्य अपने विद्यालय की व्यवस्था बालक को अनुशासनहीन बनाती है।

वहां के अध्यापक व प्रधानाचार्य अपने विद्यालयों को अनुशासित बनाने में उत्तरदायी हैं। अध्यापक का आचरण बालक के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। यदि वह आचरणहीनता प्रदर्शित करें, लोभ-लालच पूर्ण व्यवहार करें तो व्यवस्था के प्रति विद्रोह होगा और विद्यालय का वातावरण अशांत हो जाएगा।

इसके अतिरिक्त माता-पिता की असावधानी व विद्यार्थी का स्वयं का चरित्र भी अनुशासन के लिए जिम्मेदार है। कॉलेजों में राजनीति के प्रवेश ने वहां के वातावरण को और भी अधिक विषैला बना दिया है।

अनुशासन बनाने के उपाय

माता-पिता अपने पुत्र के प्रति जागरूक रहे हैं। वह उसको समाज के गलत वातावरण में जाने से रोके। विद्यालय की व्यवस्था में पूर्ण सुधार होना चाहिए। योग्य अध्यापक व प्रधानाचार्य के मार्गदर्शन में छात्र उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है।

विद्यालयों में छात्र-अभिभावक संघ बने, जिनके द्वारा छात्रों को अनुशासित व योग्य बनाने में दोनों मिलकर भागीदार बने। विद्यालय में ट्यूशन तथा नकल प्रथा का अंत होना चाहिए। अध्यापक व अभिभावक अपने अपने दायित्व को उचित रूप से समझे।

कॉलेजों में छात्रों संघों पर रोक लगाई जाए। जिसे छात्र केवल शिक्षा की ओर ध्यान दें और लड़ाई-झगड़े से बचे हैं। सरकार को विशेष रूप से शिक्षा स्तर बढ़ाने के लिए ध्यान देना चाहिए और विद्यालय की सारी समस्याएं सुलझानी चाहिए।

अनुशासन ही सफलता की कुंजी है

जीवन को सफल बनाने के लिए अनुशासन का बहुत बड़ा महत्व है। जो छात्र अनुशासन का पालन करता है, विद्यालय के नियम अनुसार अपने सारे क्रियाकलाप करता है, अपने गुरुजनों का सम्मान करता है, वह निश्चित रूप से अच्छी श्रेणी में उत्तीर्ण होकर अपने जीवन को सफल बनाता है।

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समाज में भी जो व्यक्ति अपने सब कार्य नियम से करता है। वह अपने कार्य में सिद्धि प्राप्त करता है। जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन ही व्यक्ति को ऊँचा उठाता है। अनुशासित व्यक्ति, समाज व राष्ट्र उन्नति के शिखर पर पहुंच जाता है क्योंकि अनुशासन सफलता की कुंजी है।

निष्कर्ष

अनुशासन जीवन का आधार है। विद्यार्थी जीवन संपूर्ण जीवन की आधारशिला होने के कारण उसका अनुशासित होना नितांत आवश्यक है। वह देश का भावी कर्णधार है और भविष्य की आशा है। इसलिए यह सब का उत्तरदायित्व है कि छात्रों को अनुशासित बनाने के लिए अनुकूल वातावरण बनाए जाए।

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Q&A. on Discipline in Hindi

अनुशासन क्या है और इसका महत्व क्या है?

उत्तर – अनुशासित होना हर किसी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है। अनुशासन नियमों और विनियमों को सांकेतिक करता है। जो किसी भी कार्य को करते समय पालन किया जाना चाहिए।  यह कार्य को करते समय मेहनती, ईमानदार, प्रोत्साहित और प्रेरित होने का एक उचित तरीका है।

अनुशासन हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है?

उत्तर – अनुशासन किसी भी व्यक्ति को जिम्मेदार और सम्मानजनक होना सिखाता है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और संरचना लाता है। अनुशासन का पालन करना ही समाज का आधार है। एक बेहतर समाज को संगठित करने का नियम है।

अनुशासन सफलता की कुंजी क्यों है?

उत्तर – किसी भी व्यक्ति का सफल होने का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण गुण आत्म-अनुशासन है। अनुशासन आपको अपने लक्ष्यों तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है और आपको नई बाधाओं और परेशानी को दूर करने में मदद करता है।

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