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दीपावली पर निबंध | Essay On Diwali In Hindi 500 Words | PDF

Essay on Diwali in Hindi

Essay on Diwali in Hindi 500 + Words (Download PDF) (दीपावली पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। दिवाली पर्व को पुरे भारत में बहुत धूम-धाम से मनाते हैं। इस के मौके पर स्कूलों-कॉलेजों में अवकाश रहता है। स्कूलों-कॉलेजों में निबंध लिखने को दिया जाता है और कुछ स्थानों पर प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसलिए बहुत से विद्यार्थी इंटरनेट पर दिवाली पर निबंध हिंदी में लिखने के लिए खोजते हैं। हमने अपने महत्वपूर्ण पाठकों के लिए यह आर्टिकल लिखा हैं जहाँ आप दिवाली के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त कर  सकते हैं। जैसे कि दीपावली क्यों मनाते है, दिवाली का त्यौहार कैसा होता है, दीपावली मनाने का कारण क्या है, आदि। तो आइये शरू करते है, Essay on Diwali in Hindi

भूमिका

‘तमसो माँ ज्योतिर्गमय’ की वेदोक्ति हमे अंधकार को छोड़ प्रकाश की ओर बढ़ने की विमल प्रेरणा देती है। अंधकार अज्ञान तथा प्रकाश ज्ञान का प्रतीक होता है। जब हम अपने अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश को प्रज्वलित करते हैं तो हमें एक असीम व अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है। दीपावली भी हमारे ज्ञान रूपी प्रकाश का प्रतीक है। अज्ञान रूपी अमावस्या में हम ज्ञान रूपी दीपक जलाकर संसार की सुख शांति की कामना करते हैं। दीपावली का त्योहार मनाने के पीछे यही आध्यात्मिक रहस्य निहित है।

तात्पर्य व स्वरुप

दिप + अवलि से दीपावली शब्द की व्युत्पत्ति होती है। इस त्यौहार के दिन दीपक की अवलि (पंक्ति) बनाकर हम अंधकार को मिटा देने से जुट जाते हैं। दीपावली का यह पावन पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। गर्मी व वर्षा ऋतु को विदा कर शरद ऋतु के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है। उसके बाद शरद चंद्र कमनीय कलाएँ सबके चित्त – चकोर को हर्ष विभोर कर देती हैं। शरद पूर्णिमा को ही भगवान कृष्ण ने महारास लीला का आयोजन किया था।

महालक्ष्मी पूजा

यह पर्व प्रारंभ में महालक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता था। कार्तिक अमावस्या के दिन समुद्र मंथन में महालक्ष्मी का जन्म हुआ। लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण धन के प्रतीक स्वरूप इसको महालक्ष्मी पूजा के रुप में मनाते आए हैं। आज भी इस दिन घर में महालक्ष्मी की पूजा होती है।

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ज्योति पर्व दीपावली के रूप में

भगवान राम ने अपने 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर पापी रावण का वध करके महालक्ष्मी के पुण्य अवसर पर अयोध्या पहुंचने का निश्चय किया। जिसकी सूचना हनुमान द्वारा पहले ही पहुंचा दी गई। इसी प्रसन्नता में अयोध्यावासियों ने राम के स्वागतार्थ घर-घर में दीप मालाएं प्रज्ज्वलित कर दी।  महालक्ष्मी की पूजा का यह पर्व तब से राम के अयोध्या आने की खुशी में दीप जलाकर मनाया जाने लगा और यह त्यौहार दीपावली के ही नाम से प्रख्यात हो गया।

दीपावली को मनाने की परंपरा

यह त्यौहार, दीपावली जैसा कि उसके नाम से ही ज्ञात होता है। घरो में दीपक की पंक्तियां बना के जलाने की परंपरा है। वास्तव में प्राचीन काल से इस त्यौहार को इसी तरह मनाते आए हैं। लोग अपने मकानों की मुंडेरों में प्रांगण में, प्रांगण की दीवालो में दीवारों में दीपों की पंक्ति बनाकर जलाते हैं। मिट्टी के छोटे-छोटे द्वीपों में तेल, बाती रखकर उन्हें पहले से पंक्तिबद्ध रखा जाता है। आजकल मोमबत्तियां लाइन बनाकर जलाई जाती हैं।

इस दिन नवीन व स्वच्छ वस्त्र पहनने की परंपरा भी है। लोग दिनभर बाजार से नवीन वस्त्र बर्तन मिठाई फल आदि खरीदते हैं। दुकानें बड़े आकर्षक ढंग से सजी रहती हैं। बाजारों दुकानों की सजावट तो देखते ही बनती है। लोग घर पर मिठाई लाते हैं और उसे अपने मित्रों व सगे संबंधियों में वितरित करते है। घर में भी विविध प्रकार के पकवान पकाए जाते हैं।

स्वच्छता का प्रतीक

दीपावली जहां अंत: करण के ज्ञान का प्रतीक है बाहरी स्वच्छता का प्रतीक भी है। घरों में मच्छर, खटमल, पशु, आदि विषय में कीटाणु धीरे-धीरे अपना घर बना लेते हैं, मकड़ी के जाले लग जाते हैं इसलिए दीपावली से कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई पुताई – सफेदी हो जाती है। सारे घर को चमका कर स्वच्छ किया जाता है। लोग अपनी परिस्थिति के अनुकूल घरों को विभिन्न प्रकार से सजाते हैं।

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त्यौहार में विकार

किसी अच्छे उद्देश्य को लेकर बने त्यौहार में भी कालांतर में विकार पैदा हो जाते हैं। जिस लक्ष्मी की पूजा लोग धन प्राप्ति हेतु बड़ी श्रद्धा से करते थे, उसकी पूजा कई लोग अज्ञानतावश रुपयों का खेल खेलने के लिए जुए के द्वारा भी करते हैं। जुआ खेलना एक प्रथा है जो समाज व पावन पर्व के लिए कलंक है। इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में बम पटाखों के उद्योग प्रयोग से भी कई दुष्परिणाम सामने आते हैं।

उपसंहार

दीपावली का पर्व सभी पर्वों में एक विशेष स्थान रखता है। हमें अपने पर्वो की परंपराओं को हर स्थिति में सुरक्षित रखना चाहिए। परंपराएं हमें उसके प्रारंभ व उद्देश्य की याद दिलाती है। परंपराएं हमें उस पर्व के आदि काल में पहुंचा देती है, जहां हमें अपनी आदिकालीन संस्कृति का ज्ञान होता है। आज हम अपने त्योहारों को भी आधुनिक सभ्यता का रंग दे कर मनाते हैं, परंतु इससे हमें उसके आदि स्वरूप को बिगाड़ना नहीं चाहिए। हम सब का कर्तव्य है कि हम अपने पर्वों की पवित्रता को बनाए रखें।

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FAQs. on Diwali in Hindi

दिवाली क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर – दिवाली भारत का वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का समय और प्रतिक है। सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह पांच दिवसीय रोशनी का त्यौहार प्रार्थना, आतिशबाजी, दावत, और कुछ के लिए एक नया साल और खुशियाँ लाता है।

भारत में दिवाली क्यों मनाई जाती है?

उत्तर – दीपावली पूरे भारत में रोशनी का त्यौहार के रूप में प्रशिद्ध है। हालाँकि इसको को मुख्य रूप से एक हिंदू त्यौहार के रूप में माना जाता है। दीपावली विभिन्न समुदायों में अलग-अलग घटनाओं का प्रतीक है। पुरे देश में, दिवाली आध्यात्मिक “अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान” का प्रतीक के रूप में मनाते है।

दिवाली के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है?

उत्तर – भारत के अनेक शहरों में से एक शहर अयोध्या है जहाँ विशेष रूप से दीवाली का अपना महत्व है और रामायण के संबंध के लिए प्रसिद्ध है। अयोध्या दिवाली उत्सव को अत्यंत भव्यता के साथ मनाने के लिए जाना जाता है।

कौन सा राज्य दिवाली नहीं मनाता है?

उत्तर – यह हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे पूरे भारत में बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। इसका का शाब्दिक अर्थ है “प्रकाश का त्यौहार”, हालाँकि केरल भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां दिवाली कोई बड़ा त्यौहार नहीं है। यहां लोग दिवाली को उस हद तक नहीं मनाते हैं जैसा कि अन्य भागों में मनाया जाता है।

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