लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध | Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi 1000 Words | PDF
Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi
Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi (Download PDF) – लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध (जीवनी) के माध्यम से उनके के जीवन के बारे जानेंगे की उनका जीवन किस तरह संघर्षो से घिरा रहा और इतने संघर्षो के बाद कैसे देश के प्रधान मंत्री बने। किस तरह से उन्होंने देश को आजादी में हिस्सा लिया। तो आइये शुरू करते है।
भूमिका
साधारण परिवार में जन्म लेकर अपने अथक प्रयासों व अभूतपूर्व त्याग व निष्ठा से उन्नति के शिखर पर पहुंचने वाले महापुरुषों में श्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। शास्त्री जी कठिन से कठिन परिस्थितियों को बड़े साहस व अन्य निर्भीकता से पार कर देश के प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच गए। अपनी सच्ची देश सेवा व देश प्रेम के लिए वह भारत वासियों के हृदय में चिर स्मरणीय रहेंगे।
जन्म परिचय
श्री शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, सन 1904 में बनारस जिले के मुगलसराय नामक स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम श्री शारदा प्रसाद व माता का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। उनके पिता इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला में अध्यापक थे। बाल्यावस्था में ही पिता की आकस्मिक मृत्यु से बालक लाल बहादुर का जीवन और अधिक संकटग्रस्त व आभाव ग्रस्त हो गया। लेकिन बचपन के संघर्ष ने उनमें रोशनी जगा दी।
शिक्षा एवं प्रारम्भिक जीवन
शास्त्री जी का बचपन कठिनाइयों व संघर्षों में व्यतीत हुआ। पिता की मृत्यु के बाद लाल बहादुर के साथ-साथ उनकी दो बड़ी बहनों के पालन पोषण का भार दुखिया माता राम दुलारी देवी पर आ गया। शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा उनके नाना के घर मुगलसराय में हुई। छठी पास करने के बाद वे अपने मौसा के पास पढ़ने चले गए। वहां उन्होंने हरीश चंद्र हाई स्कूल में प्रवेश ले लिया। उनकी गरीबी देखकर हेड मास्टर ने उन्हें पूर्ण शुल्क मुक्त कर दिया और उनकी शिक्षा चलती रही।
1920 ईस्वी में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण भी अपनी शिक्षा पूर्ण ना कर सके, परंतु बाद में मित्रों व गांधी जी की प्रेरणा से उन्होंने काशी विद्यापीठ में प्रवेश लिया। वहां से उन्होंने 1925 ईस्वी में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद वे देश सेवा में संलग्न हो गए।
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राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान
जब वह काशी हरिशचंद्र स्कूल में पढ़ते थे, उस समय गांधी जी के आह्वान पर वे असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। सरकार ने उन्हें ढाई वर्ष के लिए जेल में भेज दिया। सन् 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें पुनः जेल भेज दिया गया। वे अपने निष्ठावान व्यक्तित्व से बड़े नेताओं के प्रभाव में आते रहते थे।
सन् 1930 से 1935 तक में प्रयाग जिला कांग्रेस कमेटी के प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे। 1937 में उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। साथ ही में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री चुने गए और इस पद पर 1941 तक बने रहे। सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के का शास्त्री जी को जेल भेजा गया और 3 वर्ष तक पुणे जेल यातनाएं सही
स्वतंत्र भारत में विभिन्न पदों पर
15 अगस्त सन 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। उसके बाद इसी अवसर पर उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का महामंत्री चुना गया। सन 1948 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने उन्हें पुलिस तथा यातायात विभाग का मंत्री बनाया।
सन 1951 में हुए पुनः राष्ट्रीय कांग्रेस के महामंत्री निर्वाचित हुए। सन 1952 में नेहरू जी ने शास्त्री जी को रेल मंत्री नियुक्त किया किंतु सन 1956 में एक बड़ी रेल दुर्घटना के कारण उन्होंने नैतिक दायित्व समझकर मंत्रालय से त्यागपत्र दे दिया। भारतीय लोकतंत्र में एक अभूतपूर्व घटना थी। जिसमें उन्होंने एक अद्वितीय उदाहरण पेश किया।
सन 1957 में इलाहाबाद से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। नेहरु जी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में परिवहन व संचार मंत्री नियुक्त किया। 1958 में उन्हें उद्योग मंत्रालय का भार भी संभालना पड़ा। सन 1961 गोविंद वल्लभ पंत के निधन के बाद उन्हें गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया जिसका उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया।
प्रधानमंत्री के पद पर
अपनी सच्ची निष्ठा, त्याग एवं तप के बल पर श्री शास्त्री जी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच गए। सन 1964 में पंडित नेहरू जी के निधन के बाद शास्त्री जी को भारत का प्रधानमंत्री चुना गया। उसके बाद उन्हें कई अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसमें उन्होंने सफलता प्राप्त की। प्रधानमंत्री के रूप में शास्त्री जी सबसे अधिक लोकप्रिय वह सफल सिद्ध हुए।
जय जवान जय किसान का नारा
सन 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण करने का दुस्साहस किया। देश के वीर सैनिकों एवं कृषक नवयुवकों को शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा देकर दोनों का उत्साह बढ़ाया। इसका परिणाम यह हुआ कि जहां एक और जवानों ने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण हथेली पर रखें लिये। वहां किसानों ने अपने परिश्रम द्वारा अधिक से अधिक अन्न उपजाने का प्रण लिया। फलस्वरुप युद्ध में भारत को विजय प्राप्त हुई और इधर देश में अनाज के भंडार भर गए। यह शास्त्री जी की सबसे महान उपलब्धि थी। इसमें शास्त्री जी शांति के पुजारी और युद्ध के विजेता के रूप में उभर कर आए।
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आकस्मिक निधन
युद्ध बंद हो जाने के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच संधि के प्रयत्न जारी रहे। रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री कोशीगिन की पहल पर दोनों देशों के शासन अध्यक्षों को ताशकंद में बुलाया गया। वहां 10 जनवरी, सन 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने एक संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए। उसी दिन रात्रि को एक अतिथि गृह में शास्त्री जी की हृदय गति रुक जाने से आकस्मिक मृत्यु हो गई। जिस कारण सारा देश शोक के सागर में डूब गया।
उपसंहार
शास्त्री जी जीवन भर देश सेवा में लगे रहे, लेकिन उन्होंने अपने लिए कुछ भी नहीं किया। वे निस्वार्थ देश सेवक थे उनके तप, त्याग, निष्ठा व सच्ची देशभक्ति की कहानियां घर-घर में कहीं जाती है।
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FAQs. on Lal Bahadur Shastri in Hindi
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कब हुआ?
उत्तर – भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, सन 1904 में बनारस जिले के मुगलसराय नामक स्थान पर हुआ।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने कौन सा नारा दिया?
उत्तर – देश के वीर सैनिकों एवं कृषक नवयुवकों को शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर दोनों का उत्साह बढ़ाया।
लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन कैसे हुआ?
उत्तर – भारत व पाकिस्तान के बीच संधि के प्रयत्न जारी रहने के दौरान रात्रि को एक अतिथि गृह में शास्त्री जी की हृदय गति रुक जाने से आकस्मिक मृत्यु हो गई।