निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry System in Hindi 1000 Words | PDF

Essay on Dowry System in Hindi

Essay on Dowry System in Hindi 1000 Words (Download PDF) दहेज प्रथा पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए – दहेज माता-पिता के द्वारा दूल्हे या दूल्हे के परिवार को बेटी की शादी में पैसे या संपत्ति को एक विशेष रूप में उपहार देने की प्रथा को दहेज प्रथा कहते है। दहेज में आमतौर पर नकद भुगतान, गहने, या फिर सम्पति, आदि शामिल होते हैं। दहेज प्रथा को रोकने के लिए हम अपने अपनी बेटियों को शिक्षित करें, उन्हें अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करें, दहेज देने या लेने की प्रथा को प्रोत्साहित न करें, उन्हें स्वतंत्र और जिम्मेदार बनना सिखाएं, तो आइये शुरू करे – Essay on Dowry System in Hindi

प्रस्तावना

समय के परिवर्तन के साथ कई परम्पराएँ अपना वास्तविक रूप खो देती हैं। इनकी उपयोगिता को मिटाकर ये समाज के लिए बुराई के रूप में अभिशाप बन जाते हैं। नतीजतन, ऐसी व्यवस्थाएं अपना विकृत रूप लेती हैं और समाज के लिए एक समस्या बन जाती हैं। उन्हें हल करने के लिए किए गए प्रयास भी विफल हो जाते हैं।

दहेज प्रथा हमारे देश में सभी प्रथाओं में सबसे भयानक और समस्या प्रमुख है। आज स्थिति ऐसी हो गई है कि कन्या का जन्म एक दुर्भाग्य माना जाता है क्योंकि माता-पिता उसकी शादी पर होने वाले खर्च से पहले ही डरने लगते हैं।

कन्या के जन्म के साथ ही दहेज का दानव उसे प्रताड़ित करने लगता है, इसलिए पूर्व में कुछ स्थानों पर कन्या बलि की प्रथा भी थी। कन्या के जन्म होते ही बलि चढ़ाई जाती थी। आज दहेज के दानवो ने लड़कि वालो के दिलों में दहशत फैला दी है।

दहेज प्रथा का कारण

लड़की की शादी पर ज्यादा से ज्यादा खर्च करना भारत के हर समाज में एक सामाजिक मान्यता बन गई है। वर पक्ष की ओर से मांग न होने पर भी कन्या के लिए अपनी शक्ति से अधिक खर्च करना सामाजिक आवश्यकता बन गई है।

जो व्यक्ति कम खर्चे, विवाह में साज-सज्जा की कमी या कम दहेज देता है, वह समाज में अपना अपमान समझता है। इसलिए वह सामाजिक मान्यता के अनुसार खर्च करता है और हमेशा के लिए कर्ज में डूब जाता है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वहीं दूसरी ओर कई समाजों में दूल्हे की ओर से पहले से ही पैसे, आभूषण और अन्य विविध वस्तुओं की मांग की जाती है, जिसे लड़की पक्ष को पूरा करना होता है और यदि नहीं, तो इसके परिणाम भी सामने आते हैं.

ऐसे समाजों में, दूल्हे की ओर से मांग करने का रिवाज भी बन गया है। लड़की वाले भी पूछते है कि दूल्हे पक्ष की क्या मांग है। ताकतवर लोग इसे पूर्ण कर देते हैं, लेकिन शक्तिहीन व्यक्ति दबा दिया जाता है या रिश्ते को खारिज करने के लिए मजबूर हो जाता है।

सामाजिक कलंक

दहेज प्रथा भारतीय समाज पर एक धब्बा है। एक योग्य कोलीन सुशील सुंदर लड़की को दहेज के कारण योग्य वर नहीं मिल पाता है। यह उसका सामाजिक अभिशाप है कि उसका जीवन एक अयोग्य मेल खाने वाले व्यक्ति के साथ चलता है। उनका पूरा जीवन दुख और पीड़ा में व्यतीत होता है।

भारत की सामाजिक बुराई की हर सभ्य समाज में कड़ी आलोचना की जाती है, जिससे भारतीय समाज के सम्मान में कमी आती है। आज भारत में रहने वाली हर छोटी और बड़ी जाति के लोगों में दहेज का बोलबाला है। भले ही इसे दूल्हे की ओर से मांग और दबाव के रूप में न लिया गया हो, लेकिन इसने सामाजिक मान्यता का स्थान ले लिया है, जिसके दुष्परिणाम समाज के लिए कलंक साबित हो रहे हैं।

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम

यह दहेज प्रथा आज समाज के लिए विकराल रूप ले चुकी है। जो व्यक्ति सामाजिक मूल्यों को पूरा करने की क्षमता नहीं रखता और वर की मांग को पूरा नहीं कर सकता, वह एक बदसूरत, अयोग्य, विधुर व्यक्ति को फूल की तरह कोमल सुंदर बेटी देने के लिए मजबूर होता है।

दहेज के कारण बेमेल विवाह की प्रथा समाज में बहुविवाह का जन्म होता है, जो व्यक्ति एक से अधिक विवाह करता है, उसे गरीब परिवार की लड़की मिलती है। गरीब माता-पिता को अपनी बेटी की शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिन समाजों में मांग पूरी नहीं होती है, वहां लड़की का ससुराल में रहना हराम हो जाता है।

अनेक दुष्टों की लालसा इतनी प्रबल हो जाती है कि दहेज का लालच उन्हें मनुष्य से पशु बना देता है। वह अपनी बहू को मिट्टी का तेल डालकर जला देते है या किसी और तरीके से उसकी हत्या कर देते है ताकि वह अपने बेटे का पुनर्विवाह कर सके और फिर से धन प्राप्त कर सके।

ये भी देखें – Essay on Pollution in Hindi

कुछ स्थानों पर लड़कियों के लिए ससुराल में एक पल बिताना मुश्किल हो जाता है तो वे आत्महत्या तक कर लेती हैं। कई जगहों पर जहां दहेज के कारण लड़की की शादी तय नहीं होती है और लड़की की उम्र बढ़ने लगती है, वहां भी लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं और अपने माता-पिता की समस्या का स्थायी समाधान कर देती हैं। दहेज का दुष्परिणाम समाज में आए दिन देखने को मिलता है।

दहेज प्रथा में सुधार

आधुनिक युग में शिक्षा का बहुत प्रचार-प्रसार हो रहा है। दहेज के दानव से हर शिक्षित युवक-युवती भली-भांति परिचित है। इसलिए उन्हें इस बंधन से मुक्त होने के लिए संघर्ष करना चाहिए। आजकल पढ़ी-लिखी लड़कियां अवांछित बेमेल दूल्हों से शादी करने के बजाय कुंवारी के रूप में जीवन जीना पसंद करती हैं। इसलिए वे नौकरी आदि से अपनी आजीविका कमाते हैं।

सरकार ने दहेज कानून संसद में पारित कर दहेज लेने और देने पर रोक लगा दी है। इसका सख्ती से पालन करना भी सरकार का काम है। दहेज के नाम पर लड़की को प्रताड़ित करने वालों को सजा मिलनी चाहिए।

आज का युवा बिकाऊ वस्तु बन गया है, इसे कोई भी धनी व्यक्ति खरीद सकता है। इसलिए आज के आधुनिक शिक्षित युवाओं को आगे आकर इसका विरोध करना चाहिए और समाज के सामने एक मिसाल कायम कर दहेज के राक्षसों को कुचलना चाहिए। सामाजिक संस्थाओं को भी दहेज लेने वालों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए।

निष्कर्ष

जब तक समाज के सच्चे हितैषी सामने नहीं आएंगे, कानून बनाने वाले भाषण देने से कोई फायदा नहीं होगा। यदि युवा समाज स्वयं इस बुराई को मिटाने का प्रयास करे तो शीघ्र ही सफलता मिलने की संभावना बन सकती है। हम चाहते हैं कि इस प्रथा को जल्द से जल्द खत्म किया जाए।

Download PDF – Click Here

Q&A. on Dowry System in Hindi

दहेज प्रथा से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – दहेज माता-पिता के द्वारा दूल्हे या दूल्हे के परिवार को बेटी की शादी में पैसे या संपत्ति को एक विशेष रूप में उपहार देने की प्रथा को दहेज प्रथा कहते है। दहेज में आमतौर पर नकद भुगतान, गहने, या फिर सम्पति, आदि शामिल होते हैं।

दहेज प्रथा की शुरुआत किसने की?

उत्तर – सवसे पहले इंग्लैंड में दहेज प्रथा 12वीं शताब्दी में नॉर्मन्स द्वारा शुरू की गई थी। ये दहेज आमतौर पर शादी में पति को चर्च के दरवाजे पर सभी उपस्थित जनता के सामने दिया जाता था।

हम दहेज प्रथा को कैसे रोक सकते हैं?

उत्तर – दहेज प्रथा को रोकने के लिए हम अपने अपनी बेटियों को शिक्षित करें, उन्हें अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करें, दहेज देने या लेने की प्रथा को प्रोत्साहित न करें, उन्हें स्वतंत्र और जिम्मेदार बनना सिखाएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button