जीवनी-निबंध

सरदार वल्लभ भाई पटेल निबंध | Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi 1000 Words

Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi (Download PDF) | सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध के माध्यम से उनके के जीवन के बारे जानेंगे की उनका जीवन किस तरह संघर्षो से घिरा रहा। देश की अखण्डता को किस तरह से उन्होंने सूझ -भुज से उचाईयों तक पहुँचाया। तो आइये शुरू करते है। (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi)

प्रस्तावना

भारत मां के महान सपूतों में सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम बड़ी श्रद्धा व सम्मान से लिया जाता है। वे अपने सिद्धांतों एवं संकल्पो के ऊपर पर्वत की तरह अडिग और ढृढ़ रहे थे, इसलिए उन्हें लौह पुरुष कहा जाता है। वह बाहर से जितने कठोर व ढृढ़ थे, अंदर से उतने ही मृदु व कोमल थे, इसलिए भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने उन्हें अखरोट की उपमा दी थी जो बाहर से कठोर दिखाई देता है लेकिन अंदर से काफी मुलायम होता है।

जन्म परिचय

सरदार पटेल के पिता जी श्री झवेरभाई पटेल प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक वीर सैनिक थे। जिनके पूर्वज धार्मिक विचारों के थे, इसलिए वल्लभ भाई को ईश्वर भक्ति व देशभक्ति पैतृक संस्कार के रूप में प्राप्त थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म ऐसे कुलीन परिवार में गुजरात के जिला खेड़ा ग्राम करमसद में 31 अक्टूबर, सन 1875 को हुआ।

शिक्षा व प्रारम्भिक जीवन

सरदार वल्लभ भाई की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही संपन्न हुई। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करके वे उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, परंतु घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उन दिनों मैट्रिक के बाद ‘मुख्त्यारी’ की परीक्षा पास करने पर अदालत में वकालत की जा सकती थी क्योंकि कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु लंदन जाना पड़ता था। इसने सरदार पटेल ने ‘मुख्त्यारी’ करके गोधरा में फौजदारी के मुकदमे की वकालत करना प्रारंभ कर दिया। उनकी ईमानदारी पर दृढ़ता से सभी लोग प्रभावित रहते थे।

समाज सेवा का कार्य

वल्लभ भाई पटेल अपने व्यवसाय को ईमानदारी से चलाते हुए सामाजिक कार्यों में भी भाग लेते थे। दीन दुखियों की सेवा करना वे अपना परम धर्म  समझते थे। एक बार गोधरा में प्लेग की बीमारी फैल गई, उन्होंने अपनी पत्नी सहित जी जान से रोगियों की सेवा की इस कारण उनकी पत्नी बीमार पड़ गई। काफी उपचार करने पर भी वे इस संसार से चल बसी। पत्नी की मृत्यु होने पर भी वे अपने कर्तव्य क्षेत्र से विचलित नहीं हुए। उस समय उनकी आयु मात्र 35 वर्ष थी। उसके बाद उन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया।

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गोधरा कांड आंदोलन

गोधरा में बेगार प्रथा के अंतर्गत अंग्रेज अधिकारी जनता का शोषण करते थे। अंग्रेज अधिकारी अपनी शान शौकत के लिए जनता का निशुल्क कुली की तरह उपयोग करते थे। इसी को बेगार प्रथा कहते हैं। इस प्रथा को बंद करने के लिए वहां आंदोलन चल रहा था।

सन 1916 में बेगार प्रथा बंद करने के लिए एक कमेटी बनाई गई। वल्लभ भाई उसके मंत्री चुने गए। सारा आंदोलन उन्हीं के नेतृत्व में चला। कठोर संघर्ष के बाद उस आंदोलन में उन्हें विजय प्राप्त हुई और सरकार को बेगार प्रथा बंद करनी पड़ी।

राष्ट्रीय आंदोलनों में

अब सरदार पटेल कांग्रेस द्वारा संचालित राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने लगे। गांधी जी ने खेड़ा सत्याग्रह आरम्भ किया था। इस सत्याग्रह में सरदार पटेल की निष्ठा व त्याग को देखकर गांधी ने उनकी संगठन शक्ति व कर्मवीरता कि पूरी पूरी प्रशंसा की।

रोलेट एक्ट के विरोध में किए गए सत्याग्रह में गांधी जी के साथ सदा आगे आगे रहे। इस काल में गांधी जी को बंदी बना लेने पर भी उन्होंने आंदोलन में शिथिलता नहीं आने दी। उनकी इसी नेतृत्व शक्ति के कारण उन्हें सन 1921 में गुजरात कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया।

कांग्रेस का नेतृत्व

सन 1930 में नमक सत्याग्रह में सरदार पटेल भी अन्य नेताओं के साथ बंदी बनाए गए। सन 1931 के कराची में कांग्रेस के अधिवेशन में उन्हें सर्वसम्मति से सभापति बनाया गया। सन् 1935 में जब प्रांतीय चुनावों में कांग्रेस की भागीदारी हुई तो सरदार पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस को सात प्रांतों में शानदार विजय मिली और इन प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनाई गई। उस काल में सरदार पटेल को पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया।

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देशी रियासतों का विलय

भारत के स्वतंत्र होने से पूर्व भारत में 600 देशी रियासतें थी। उनको भारत संघ में मिलाना अत्यंत कठिन काम था। सरदार पटेल भारत के गृह मंत्री बनाए गए। देसी रियासतों का कार्यभार भी उन्हीं पर था। उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ व कुशल नीति के द्वारा लगभग सभी देशी रियासतों को भारत संघ में मिला लिया।

जिस देशी राजाओं ने आनाकानी की उनके साथ कठोरता का व्यवहार कर उन्हें अपनी रियासतों को भारत में विलय करने के लिए बाध्य कर दिया। वह इतना कठिन व असंभव काम था जिसको सरदार पटेल जैसे व्यक्तियों ने सरलता से हल कर दिया।

वे देश के उप प्रधानमंत्री व गृहमंत्री थे। अभिनव देश की अनेक पेचीदा समस्याएं थी, जिन्हें सरदार पटेल जैसे व्यक्ति सिद्ध कर पाए ऐसे महान जननायक का 15 दिसम्बर 1950 को निधन हो गया। सारे देश में शोक की लहर छा गई। 

उपसंहार

यधपि सरदार पटेल आज हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उनके सिद्धांत व आदर्श सदैव हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेंगे। उनकी अनुपम देश सेवा के लिए सारा राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।

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FAQs. on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi

सरदार पटेल किस लिए प्रसिद्ध हैं?

उत्तर – जब देश स्वतंत्र हुआ तब अलग -अलग भारतीय रियासत थी और नए स्वतंत्र देश में राष्ट्रीय एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता संपूर्ण और अडिग थी, जिससे उन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा जाता था। उन्होंने भारतीय संघ को एक करने में दृढ़ता से काम लिया।

क्या सरदार वल्लभ भाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी हैं?

उत्तर – वल्लभ भाई पटेल पेशे से वकील एक वकील थे और  वे 42 साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। सरदार पटेल के नाम से मशहूर वल्लभभाई झावेरभाई पटेल एक अलग किस्म के स्वतंत्रता सेनानी थे। वह आत्मनिर्भरता के समर्थक थे।

स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री कौन थे?

उत्तर – स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल थे। उनके भारतीय संघ को एक जुट करने में अहम् भूमिका है। देश को एक करने के लिए उन्होंने 600 से ज्यादा रियासतो को भारतवर्ष में मिलाया।

पटेल को सरदार किसने कहा?

उत्तर – ‘सरदार’ की उपाधि हिंदी में प्रमुख को कहते है। यह उपाधि उन्हें महात्मा गांधी द्वारा दी गई थी, क्यूंकि बारडोली सत्याग्रह के दौरान उनके असाधारण संगठनात्मक कौशल के लिए उन्हें यह नाम दिया गया था। यह सत्याग्रह गुजरात में 1928 में हुआ था।

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