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Essay On Christmas In Hindi 500 Words | क्रिसमस पर निबंध PDF

Essay On Christmas In Hindi

Essay On Christmas In Hindi 500 + Words (Download PDF) क्रिसमस पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए – क्रिसमस कुछ लोगो के लिए केवल अवकाश का दिन है लेकिन इसकी महानता ईसाई धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्रिसमस क्यों मनाते है और इसकी क्या विशेषताए है, तो आइये शुरू करते है – Essay on Christmas in Hindi

प्रस्तावना

संसार परिवर्तनशील है कहां है – सब दिन होत न एक समान। इसी प्रकार कभी मानव अपने दैनिक कार्यों में अत्यधिक व्यस्त रहता है तो कभी विविध पर्वो द्वारा अपना मनोरंजन करता है। इसलिए विश्व के विभिन्न देशों में समय-समय पर विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं।

उनमें से कुछ त्यौहार केवल थकान मिटा कर मनोरंजन की दृष्टि से मनाए जाते हैं तो कई त्यौहार किसी महापुरुष के जीवन की घटनाओं पर आधारित होते हैं संसार में कई पर्व महापुरुषों के जन्म दिवस के रूप में भी मनाए जाते हैं। उनमें से बड़ा दिन ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। पृथ्वी पर प्रभु यीशु के जन्म की खुशियों में यह पर्व सारे संसार में मनाया जाता है।

तात्पर्य व स्वरूप

प्रभु यीशु के जन्म के दिन को क्रिसमस या बड़ा दिन के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व विश्व भर में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह पर्व महत्त्व की दृष्टि से सबसे बड़ा है। इसकी महिमा बहुत ऊंची है। इसलिए इसको बड़ा दिन कहते हैं।

प्रभु यीशु के पैदा होने के कारण यह दिन सब के लिए सबसे बड़ा सौभाग्य का दिन है। इस दिन को विश्व भर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

ईसा मसीह का जन्म

एक बार राजा की आज्ञा से जनगणना के लिए मरियम और उसके मंगेतर युसूफ वैतलहम नामक शहर में आए। सभी सराय, घर भर चुके थे। इसलिए मरियम को एक गरीब आदमी ने एक अस्तबल में स्थान दिया। उसी स्थान पर उसी रात प्रभु यीशु का जन्म हुआ।

इस प्रकार ईसा मसीह ने किसी राजमहल में जन्म ना लेकर एक ऐसे स्थान को पवित्र किया जो मनुष्य के नहीं जानवरों के रहने का था क्योंकि जगत के स्वामी ने गरीबी में आना अच्छा समझा। उन्हें गरीबों का हित करके उन्हें ऊपर उठाना था।

इसी महामानव के इस संसार में आने की खुशी में 25 दिसंबर बड़ा महत्वपूर्ण दिन समझा जाता है। इसलिए इस दिन को इसाई लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।  लेकिन यह पर्व केवल ईसाइयों का ही नहीं हर जाति व धर्म के लोगों के लिए खुशी का दिन है।

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त्यौहार मनाने की परम्परा

ईसा मसीह के बाद उनके शिष्यों ने इस त्यौहार को बड़ी खुशी के साथ मनाना शुरू किया। तब से यह पर्व प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को यीशु के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाने की परंपरा बन गई। 24 दिसंबर की रात्रि को 12:00 बजे से जब 25 दिसंबर का शुभारम्भ होता है, तब सारे गिरजाघर के घंटे बज उठते हैं। सबको प्रसन्नता का शुभ संदेश देते हैं।

घंटों की ध्वनि के साथ सब श्रद्धालु जनों के ह्रदय के तार प्रसन्नता के साथ झंकृत हो जाते हैं। घंटों की यह ध्वनि प्रभु यीशु के जन्म होने का संदेश देती है। उसके तुरंत बाद गिरजा घरों में प्रार्थना सभाएं होती हैं। उसमें सभी श्रद्धालु जन शामिल होते हैं।

इसी प्रार्थना सभा में प्रार्थना करके सभी लोग एक दूसरे को बधाई देते हुए इस वर्ष का शुभारम्भ करते हैं। अर्थात 24 दिसंबर रात्रि 12:00 बजे के बाद से 25 दिसंबर के शुभ आरम्भ होते ही यह पर्व मनाना शुरू हो जाता है क्योंकि ऐसी धारणा है कि ईसा मसीह का जन्म भी ठीक 12:00 बजे रात्रि को हुआ था।

त्यौहार मनाने की विधि

यह दिन शुद्ध व पवित्र दिन है। इसाई लोग 25 दिसंबर को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। अपने घरों को पहले से स्वच्छ करके सजाते हैं। 24 तारीख की रात्रि से ही यीशु के आने की खुशी में घरों को भी प्रकाश से जगमगाते हैं।

सभी स्त्री-पुरुष बाल, वृद्ध इस दिन के लिए अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुकूल नए-नए वस्त्र बनवाते हैं। इस अवसर पर नये सामान लाने की परम्परा भी है। घर में नए-नए स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। मिठाईयां बनती हैं। इस दिन एक दूसरे को मिठाई बांटी जाती है। सभी घरों में दिन भर चहल-पहल रहती है।

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गिरजाघरो कि शोभा तो देखते ही बनती है। वे चकमक होकर ईसा मसीह का मनो संदेश दे रहे हो। 25 तारीख को लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। उसमें प्रभु का धन्यवाद क्रिसमस गाते हैं। लोग घर-घर जाकर, गाने गाकर इस शुभ संदेश को दूसरे तक पहुंचाते हैं।

प्रेम का पर्व

बड़ा दिन प्रेम व प्यार का दिन है जो सबको ईसा के प्रेम का संदेश देता है। इस दिन लोग घर-घर जाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। अन्य धर्म के लोग भी अपने इसाई भाइयों के घर जाकर उन्हें बड़े दिन की बधाई देते हैं और गले मिलते हैं। ईसा मसीह ने इस दिन पृथ्वी पर आकर सबको प्यार का संदेश दिया। उन्होंने पृथ्वी की दुखी आत्माओं को प्यार की सरस बून्द देकर उन्हें शांति प्रदान की।

निष्कर्ष

इस अवसर पर केवल त्यौहार को मना लेना है ख़ुशी नहीं हैं। इस पर्व को मनाना सार्थक तभी होगा जब लोग ईसा मसीह के दिए हुए संदेशों को अपने व्यवहारिक जीवन में चरितार्थ करें। यीशु मसीह ने लड़ना नहीं सिखाया, जोड़ना सिखाया, प्रेम सिखाया, सबको सहनशीलता का पाठ पढ़ाया। हम सब प्रभु यीशु का श्रद्धा पूर्वक नमन करते हैं।

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Q&A. Essay on Christmas in Hindi

हम क्रिसमस दिवस क्यों मनाते हैं?

उत्तर – क्रिसमस दिवस 25 दिसंबर को मनाया जाता है और यह एक पवित्र और धार्मिक त्यौहार है। ईसाई क्रिसमस दिवस को यीशु के जन्म की वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं।

क्रिसमस सबसे पहले कहाँ मनाया गया?

उत्तर – सबसे पहला रिकॉर्ड किया गया क्रिसमस उत्सव 25 दिसंबर, 336 ईस्वी को रोम में मनाया गया था।

क्रिसमस सबसे अच्छी छुट्टी क्यों है?

उत्तर – क्रिसमस एक छुट्टी का दिन है। दुनिया में इससे बेहतर और कोई भावना नहीं है जब परिवार और दोस्त एक साथ आते हैं और एक दूसरे को अपने प्यार का जश्न मनाने के लिए उपहार देते हैं। इसलिए क्रिसमस सबसे अच्छी छुट्टी है।

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